SIP और म्यूचुअल फंड के बीच क्या फर्क है?

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म्यूचुअल फंड सही है?

ब्रेकडाउन: म्यूचुअल फंड और SIPs

म्यूचुअल फंड एक वित्तीय उत्पाद है, जबकि SIP म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने का एक तरीका होता है। जब आप निवेश के लिए SIP चुनते हैं, तब भी आप म्यूचुअल फंड योजना में ही निवेश कर रहे होते हैं।

चलिए देखते हैं कि म्यूचुअल फंड्स और SIPs में निवेश करने से आपको भविष्य में आर्थिक रूप से सुरक्षित रहने में कैसे मदद मिल सकती है

म्युचुअल फंड क्या होता है?

म्यूचुअल फंड में, कई निवेशक स्टॉक्स, बॉन्ड्स और दूसरी सिक्योरिटीज़ जैसे एसेट्स में निवेश करने के लिए अपना पैसा जमा करते हैं। अनुभवी फंड मैनेजर्स उस पैसे की देखरेख करते हैं। हालाँकि, इस पेशेवर मैनेजमेंट और विशेषज्ञता के लिए शुल्क अदा करना होता है। ये शुल्क आम तौर पर फंड द्वारा मैनेज किए जाने वाले कुल एसेट्स का एक छोटा सा प्रतिशत होता है और फंड के रिटर्न से काट लिया जाता है। एक निवेशक के रूप में, आपके पास फंड के कुल एसेट्स के एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनिट्स होती हैं। इन यूनिट्स की नेट एसेट वैल्यू फंड में मौजूद सिक्योरिटीज़ के मार्केट परफ़ोर्मेंस के आधार पर बदलती रहती है।

जब म्यूचुअल फंड में निवेश की बात आती है, तो आपके पास दो विकल्प होते हैं:

1. एकमुश्त तरीका: जब भी आपके पास ज़्यादा नकदी हो, तो आप उसे ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड योजना में निवेश कर सकते हैं। इसमें अधिकतम निवेश राशि पर कोई प्रतिबंध नहीं है। एकमुश्त निवेश के लिए न्यूनतम राशि ज़्यादातर 500 रुपये से शुरू होती है।

2. SIPs (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस): SIP में, आपके पास न्यूनतम 100 रुपये से शुरू होने वाली नियमित राशि का निवेश करने का विकल्प होता है।

जब आप म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं, तो आपको उन खास तारीखों पर म्यूचुअल फंड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) के बराबर यूनिट्स बाँटी जाएंगी। NAV दरअसल किसी खास तारीख पर म्यूचुअल फंड की एक यूनिट के मौजूदा बाजार मूल्य को दर्शाती है।

SIPs द्वारा से निवेश क्यों करें?

1. रुपये की औसत लागत
आप नियमित अंतराल पर एक फिक्स्ड मात्रा में म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदते हैं, जब बाजार में मंदी आती है तो ज़्यादा खरीदते हैं और तेज़ी आने पर कम खरीदते हैं, जिससे आपकी निवेश लागत का औसत निकल आता है। यह रुपये की औसत लागत होती है।

2. कम से शुरुआत करें/ छोटे से निवेश से शुरुआत करें
SIPs में कोई भी आसानी से निवेश कर सकता है, आप कितनी भी राशि निवेश कर सकते हैं। आप कम से कम 500 रुपये प्रति माह से शुरुआत कर सकते हैं और समय के साथ बेहतरीन रिटर्न पा सकते हैं। म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने की न्यूनतम राशि हर योजना में अलग-अलग होती है।

3. फ्लेक्सिबिलिटी और कंट्रोल
SIPs आपकी आर्थिक स्थिति के अनुरूप आपको निवेश राशि और फ्रिक्वेन्सी चुनने की फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं। आप भुगतान की राशि बढ़ा या घटा सकते हैं, या कुछ समय के लिए रोक सकते हैं या बंद कर सकते हैं।

4. कंपाउंडिंग की ताकत
अगर आप लंबी अवधि तक निवेशित रहते हैं, तो आपका पैसा कई गुना बढ़ जाता है, जिससे आपको बाजार जोखिम के अधीन कंपाउंडिंग की ताकत का लाभ मिलता है।

5. अनुशासित निवेश की आदत
SIPs आपको अनुशासित निवेश का रवैया अपनाने में मदद करते हैं। आप अलग-अलग फाइनेंशियल गोल्स के लिए अलग-अलग SIPs खोल सकते हैं और अपने गोल्स हासिल कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने के तरीके

डायरेक्ट निवेश: आप सीधे म्यूचुअल फंड कंपनी द्वारा निवेश करते हैं। इसका मतलब यह है कि फंड चुनने से लेकर निवेश करने तक निवेश प्रक्रिया की पूरी ज़िम्मेदारी आप लेते हैं। क्योंकि इसमें बीच में कोई नहीं होता है, इसलिए अक्सर इसमें शुल्क बहुत कम लगता है।

डिस्ट्रीब्यूटर निवेश: अगर आप डिस्ट्रीब्यूटर की मदद से निवेश करना चुनते हैं, तो आपको वित्तीय सलाहकार या ब्रोकर के साथ काम करना होता है। वे सही फंड चुनने और तकनीकी चीज़ों को मैनेज करने में आपको गाइड करते हैं। पर इस विकल्प में डिस्ट्रीब्यूटर की सर्विसेस के कारण इसकी लागत बढ़ सकती है।

अस्वीकरण:
म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, योजना से जुड़े सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।

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