मुद्रास्फीति (इंफ्लेशन) क्या है?

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म्यूचुअल फंड सही है?

सरल शब्दों में कहें तो, एक निश्चित अवधि में मूल्यों की उपलब्ध मुद्रा के सापेक्ष वृद्धि मुद्रा स्फीति या महंगाई कहलाती है| सम्बंधित रूप में कहें तो, पहले की तुलना में रूपए की क्रय क्षमता आज बहुत कम है| 

एक उदाहरण के ज़रिये आइये इसे बेहतर समझें| मान लीजिये आज एक प्लेट छोले मसाला आप Rs.100/- में खरीदते हैं| सालाना मुद्रास्फीति अगर 10% मानकर चलें, यही छोले अगले साल आप Rs.110/- में खरीद पायेंगे| आपकी आमदनी अगर तुलनात्मक रूप से कम से कम इतनी भी नहीं बढ़ती है, आप इसे या इस प्रकार की अन्य वस्तुओं को खरीदने की स्थिति में नहीं होंगे, है न?

मुद्रास्फीति निवेशकों को इस बात से सामना कराती है कि उनके वर्तमान  जीवन स्तर को कायम रखने के लिए उनके निवेशों का प्रतिफल दर क्या होना चाहिए| उदाहरण स्वरुप, किसी निवेश में अगर प्रतिफल 4% रहा और मुद्रास्फीति 5% रही, वास्तविक निवेश प्रतिफल -1% माना जाएगा (5%-4%)

म्यूच्यूअल फंड्स आपको ऐसे विकल्प प्रदान करते हैं, जिनमें महंगाई को मात कर प्रतिफल देने की क्षमता है! उपयुक्त म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करने से लम्बी अवधि में क्रय शक्ति को सुरक्षित करना मुम्किन है.

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