पॉवर ऑफ़ कंपाउंडिंग क्या है?

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म्यूचुअल फंड सही है?

पॉवर ऑफ़ कंपाउंडिंग बहुतों को एक मुश्किल शीर्षक जान पड़ेगा| ऐसा कतई नहीं है और इसे सरलता से समझने में हम आपकी मदद करेंगे|

आइये ये मान कर चलें की किसी ने रुपये 10000/- @ 8% के हिसाब से निवेश किया है| सालाना सूद 800/- होगा| तथापि, जब सूद उसी निवेश में पुनः निवेशित होता है, अगले साल की उपार्जित आमदनी में न केवल मूल 10000/- अपितु 800/- का अतिरिक्त निवेश भी दर्शायेगा, अतः दूसरे वर्ष ये राशि 864/- होगी| जैसे जैसे सालों की वृद्धि होगी, सालाना सूद में भी वृद्धि होगी क्योंकि हर साल अतिरिक्त निवेश भी हो रहा है|

एक निर्दिष्ट समयावधि के बाद, कितनी राशि एकत्रित होगी, अगर सालाना प्रतिफल/रिटर्न निवेशित होता है?

निवेश- 10000/-
रिटर्न/प्रतिफल दर: 8%

Power of compounding

ये तालिका एक दिलचस्प मिसाल है| निवेश अवधि जितनी लंबी होती है, आय में बढौतरी तेज़ होती है| जहां पहले पांच वर्षों में आय 0.47 लाख थी, वहीं अगले पांच वर्षों में 0.69 लाख हुई (2.16 लाख -1.47 लाख)| 21वें साल में- एक ही वर्ष में- ये 0.37 लाख रही|

“वक़्त के साथ आय संख्या में नहीं, घातांकीय वृद्धि में फलीभूत”

अनिवार्य रूप से, कंपाउंडिंग/योग आय की वो प्रक्रिया है जिसमें आप अपने मूल पूँजी निवेश और अर्जित आय, दोनों पर आमदनी अर्जित करते हैं- अर्जित आय भी आमदनी का ज़रिया बन जाती है क्यों कि उसे पुनः निवेश किया जाता है|

*कृपया ध्यान दें कि ये गणना केवल उदाहरण के लिए हैं और वास्तविक रिटर्न का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। म्यूचुअल फंड्स में निश्चित (फिक्स्ड) रिटर्न दर नहीं होती है और इसलिए रिटर्न दर की भविष्यवाणी करना संभव नहीं है।

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