टारगेट मैच्योरिटी फंड्स क्या होते हैं?

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म्यूचुअल फंड्स के प्रति बढ़ती जागरूकता और गारंटीकृत बचत उत्पादों में ब्याज दरों में कमी के साथ, जोखिम से बचने वाले कई निवेशक, जो फिक्स्ड डिपॉज़िट्स, PPF और NSC जैसे पारम्परिक उत्पादों में निवेश करते थे, कुछ अच्छे कारणों से डेट फंड्स की ओर चले गए हैं। डेट फंड्स ऐसे निवेशकों को ज़्यादा लोकप्रिय इक्विटी फंड्स की तुलना में कम अस्थिर तथा बेहतर रिटर्न देने की संभावना के साथ अपने फिक्स्ड डिपॉज़िट्स, PPF और NSC से ज़्यादा टैक्स कुशल लगते हैं। हालांकि, निवेशकों को अभी भी डिफ़ॉल्ट जोखिम का खतरा है, यानि मूल राशि और ब्याज के भुगतान गँवाने का जोखिम तथा ब्याज दर का जोखिम यानि ब्याज दरों में बदलाव के कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव।

टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स (TMF) निवेशकों के पोर्टफोलियो को फंड की मैच्योरिटी की तारीख़ के साथ अलाइन करके डेट फंड्स से जुड़े जोखिमों को बेहतर ढंग से नेविगेट करने में उनकी मदद करते हैं। ये निष्क्रिय डेट फंड्स होते हैं जो आधारभूत बॉन्ड इंडेक्स को ट्रैक करते हैं। इसलिए, इन फंड्स के पोर्टफोलियो में ऐसे बॉन्ड्स होते हैं जो अंतर्निहित बॉन्ड इंडेक्स का हिस्सा होते हैं, और इन बॉन्ड्स की मैच्योरिटी फंड की कथित मैच्योरिटी के आस-पास होती है। पोर्टफोलियो में बॉन्ड्स मैच्योरिटी तक रखे जाते हैं और अवधारण अवधि के दौरान प्राप्त होने वाले सभी ब्याज के भुगतानों को फंड में पुनः निवेश कर दिया जाता है। इसलिए, टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स FMP की तरह जमा मोड में काम करते हैं। हालांकि, FMP के विपरीत, TMF ओपन-एंडेड होते हैं और टार्गेट मैच्योरिटी डेट इंडेक्स फंड्स या टार्गेट मैच्योरिटी बॉन्ड ETF के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं। इसलिए, TMF FMP से ज़्यादा नकदी पेश करते हैं।

जहाँ तक अवधि का संबंध है TMF में एक समरूप पोर्टफोलियो होता है क्योंकि फंड के पोर्टफोलियो में सभी बॉन्ड्स मैच्योरिटी तक रखे जाते हैं और वे फंड की कथित मैच्योरिटी के समय के आस-पास ही मैच्योर होते हैं। बॉन्ड्स को मैच्योरिटी तक रखकर, समय के साथ फंड की अवधि घटती रहती है और इसलिए निवेशकों को ब्याज दरों में बदलाव के कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव का खतरा कम होता है।

वर्तमान में TMF के लिए सरकारी प्रतिभूतियों, PSU बॉन्ड्स और SDL (राज्य विकास ऋण) में निवेश करना अनिवार्य है। इसलिए, अन्य डेट फंड्स की तुलना में इनमें कम डिफ़ॉल्ट जोखिम होता है। चूँकि ये फंड्स ओपन-एंडेड होते हैं, इसलिए निवेशक बॉन्ड जारीकर्ता से संबंधित किसी भी प्रतिकूल घटना, जैसे डिफ़ॉल्ट या क्रेडिट डाउनग्रेड होने की स्थिति में अपना निवेश निकाल सकता/सकती है।

अपनी ओपन-एंडेड संरचना और नकदी के वादे के बावजूद, टार्गेट मैच्योरिटी फंड्स आर्दश रूप से मैच्योरिटी तक रखे जाने चाहिए क्योंकि यह रिटर्न का कुछ पूर्वानुमान प्रदान करता है, जो पहली बार पारम्परिक डिपॉज़िट्स से डेट फंड्स में आने वाले निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है।

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