म्यूचुअल फंड में कितने समय तक निवेशित रहना पड़ता है?

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किसी निवेश मार्ग को चुनने से पहले सबसे महत्वपूर्ण विचारों में से एक अपेक्षित “समय सीमा” है, अर्थात दिन, माह या वर्षों में वह समय जिसके लिए कोई निवेशक निवेश का इरादा करता है।

और यह क्यों जरूरी है?

आदर्श रूप में सभी निवेश, वित्तीय या निवेश योजना से उत्पन्न होने चाहिए। ऐसी योजनाएं आम तौर पर यह संकेत देती हैं कि किसी वित्तीय उद्देश्य को हासिल करने में कितना समय लगेगा।

आइये एक निवेशक पर विचार करें जिसने एक रीयल इस्टेट ट्रान्जेक्शन में 50 लाख रु.कमाए हैं। पैसे का क्या करना है इस पर अंतिम निर्णय लेने से पहले वह निवेश के लिए एक सुरक्षित स्थान खोज रहा है। इस मामले में आदर्श योजना एक लिक्विड फंड होगी, जिसे पूंजी की सुरक्षा के लिए सामान्यतया उच्च लाभप्रदता के साथ तरलता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अपनी जरूरत के हिसाब से वह कभी भी रिडीम कर सकता है।

इसलिए निवेशित रहने के समय पर निर्णय निवेश उद्देश्य पर निर्भर करता है। निवेशकों को समय-समय पर फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स यानी निवेश सलाहकारों या म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स से निवेश का स्टेटस और प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए। ऐसी समीक्षाओं के दौरान ही रिडीम करने, स्विच करने, निवेशित रहने या छोड़ देने के निर्णय लिए जाते हैं।

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